पत्थर की राधा रानी पत्थर के कृष्ण मुरारी
Patthar Ki Radha Rani Patthar Ke Krishna Murari
पत्थर के कृष्णा मुरारी
पत्थर की राधा प्यारी
पत्थर से पत्थर घिसकर
पैदा होती चिंगारी
पत्थर की नारी अहिल्या
पथ से श्री राम ने तारी पत्थर के पथ पर बैठी
मैया हमारी
चॊदह बरस बनवास को भेजा
राम लखन सीता को
पत्थर रख सीने में दशरथ ने
कृष्णा जुदाई का भी पत्थर
सहा देव की माँ ने
कैसी लीला रची कुदरत ने
पत्थर धन्य पाया
इसमें ठाकुर बसे
पत्थर में हमने पाई
भोले भंडारी
ले हनुमान उड़े पत्थर को
बूटी संजीवनी लाये
सरे वीर पुरुष हर्षाए
तेर गए पानी में पत्थर
काम सेतु के आये
पत्थर राम लखन मन भाए
पत्थर से तू बना
वो तो बड़ा ही घना ]2]
पत्थर जगह जगह है
मूरत बड़ी प्यारी
जहां से आये बहकर पानी
गंगा में मिल जाये
वो तो गंगा जल कहलाये ।2।
गंगा से जब लाये पानी
यमुना में मिल जाये
वो तो यमुना जल कहलाये ।2।
दोनों में अंतर है क्या
मुझ को ये तो बता ।2।
पानी का रंग न कोई
पानी तो पानी